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समर कैम्प: बच्चों, उनके माता-पिता और समुदायों को एक साथ शिक्षा से जोड़ने का रचनात्मक तरीका

पिछले दिनों एस्पायर ने अपने कार्यक्षेत्र उड़ीसा, झारखंड छत्तीसगढ़ और प. बंगाल में बच्चों के लिए समर कैम्प का आयोजन किया। जिसमें 1,56,086 बच्चों ने भागीदारी की. गर्मी की छुट्टियों में उनको पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए समर का आयोजन एक महत्वपूर्ण गतिविधी है। जिसमें बच्चे न सिर्फ़ वे खेल-मस्ती करते हैं बल्कि रचनात्मक तरीके से नई-नई गतिविधियों के ज़रिए अपने व्यक्तित्व के विकास और अपनी पढ़ाई से सम्बंधित बहुत कुछ नई चीजें सीखते हैं। इस साल 4758 समर कैम्प आयोजित किए गए। जिसके बेहतर संचालन के लिए 601 आरबीसी, एनआरबीसी टीचर के साथ-साथ 3935 वालंटियर भी शामिल थे। इन सभी को समर कैम्प चलाने के लिए ख़ास तरह से प्रशिक्षित किया गया था। पिछले कई सालों से एस्पायर भारत के सबसे दूरस्थ इलाकों में इस कैम्प को आयोजित करता रहा है। इन समर कैम्पों की सबसे पहली विशेष बात यह है कि ये पूरी तरह स्थानीय समुदायों के सहयोग से संगठित किए जाते रहे हैं और दूसरी विशेष बात यह कि इसमें भागीदारी करने वालों की कोई उम्र नहीं होती। कई बार स्थानीय लोग भी बच्चों के साथ इन गतिविधियों का हिस्सा होते हैं।
एस्पायर का हमेशा से यह मानना है कि बच्चों तक स्कूल पहुंचा देने मात्र से ही शिक्षा की समस्या हल नहीं हो जाती है। बल्कि इसके लिए वहां के समुदायों को भी उत्तरदाई बनाना होगा, पंचायत, बच्चों के अभिभावक और वहां के अध्यापकों के साथ मिलकर काम करना होगा। इस के लिए एस्पायर, रणनीति के तौर पर मुख्यतः तीन पहलुओं को सामने रखता है- पहला, ‘बच्चों तक’ या ‘बच्चों को’ एक ऐसी संरचना (structure) उपलब्ध कराना, जहां वे किसी भी तरह के अभाव, भेद-भाव या डर के बिना पढ़-लिख सकें। दूसरा, बच्चों के पढ़ने और पढ़ाने के तरीक़े को गुणवत्तापूर्ण बनाना ताकि शिक्षा उनके लिए ज़्यादा से ज़्यादा सहज और सरल हो सके। और तीसरा, उस पंचायत और उन समुदाय के लोगों को शिक्षा के प्रति उत्तरदाई बनाना ताकि भविष्य में वे शिक्षा को लेकर आत्मनिर्भर हो सकें। समर कैम्प उन तमाम गतिविधियों में से एक गतिविधि है जहां पर बच्चे, उनके माता-पिता और उनके समुदाय के लोग एक साथ भागीदारी करते हैं।

समर कैम्प के कक्षाओं की कोई बाउंड्री नहीं होती है। कभी वो किसी चारदीवारी के भीतर होती हैं तो कभी खुले आसमान के नीचे तो कभी किसी पेड़ के नीचे और कभी किसी घर के आंगन में.. कक्षाओं का स्थान बच्चे तय करते हैं।

शब्दों और अक्षरों की पहचान।

शब्द और  वस्तु के बीच संबंध।

गणितीय अवधारणाएँ- बाएँ: गिनती संख्या प्रणाली, जोड़ और घटाव दाएँ: संख्या नाम और नंबर के बीच संबंध।

गणितीय अवधारणाएँ: आकार, क्षेत्र, स्क्वॉयर और स्क्वॉयर रूट को समझते हुए बच्चे।

शिक्षकों और वालंटियर्स का प्रशिक्षण: समर कैंप को सफलतापूर्वक चलाने के लिए एस्पायर अपने शिक्षकों और स्वयंसेवकों को विभिन्न स्तरों पर ट्रेनिंग देता रहता है। इस प्रशिक्षण में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, वाक्य निर्माण आदि जैसे विषय शामिल होते हैं। बच्चों को पढ़ाने की प्रक्रिया को आसान और सरल बनाने के लिए इन शिक्षकों को न केवल टीएलएम का उपयोग करना सिखाया जाता है बल्कि स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके उन्हें बनाना भी सिखाया जाता है।

डिजिटल लर्निंग: बाएं- बच्चे टैबलेट में डिजिटल स्टोरी देखते हुए। दाएं: शिक्षक और वालंटियर्स प्रशिक्षण सत्र के दौरान डिजिटल स्टोरी देखते हुए।

विज्ञान गतिविधि: पिनहोल कैमरे के माध्यम से प्रकाश और छवि निर्माण की अवधारणाओं को समझते हुए बच्चे।

विज्ञान गतिविधि: सूर्य के पथ और छाया के निर्माण का अवलोकन करके, बच्चे प्रकाश और समय के प्रवाह के बारे में अपनी समझ को बढ़ाते हुए।

कला और शिल्प गतिविधि।

गीत और नृत्य के माध्यम से सीखना: यह एक ऐसी गतिविधि है जिसका बच्चे बहुत आनंद लेते हैं। यह मौज-मस्ती और शिक्षा का मिला-जुला रूप  है, जो उनके सीखने की गतिविधि को और रोचक वआसान बनाती है।